चले कुदाली छाती पे, फिर भी कराती तू अमृत का पान | ए माँ ! तेरी ममता की यह है आन| चले तीन-तीन गोली सीने पे, फिर भी मुख से निकले हे राम | ए माँ ! तेरे सपूत की यह है शान | उत्तर में उत्तुंग हिमालय करे तेरे दामन की रक्षा | हम पर है देवो का वरदान | दक्षिण में गहरा समंदर,उससे गहरा तेरा प्रेम | तुझ पे करे हजारों बलिदान | पश्चिम में गाँधी का गुजरात, सोने की चिड़िया करती हे गान | पूरब में टागॉर का बंगाल, करता है माँ शारदा का सम्मान |
|